सूरज तपता, धरती जलती,
गरम हवा जोरों से चलती,
तन से बहुत पसीना बहता,
हाथ सभी के पंखा रहता.
आ रे बादल, काले बादल,
गर्मी दूर भगा रे बादल,
रिम झिम बूंदे बरसा बादल,
झाम झाम पानी बरसा बादल।
लगता नही की वर्षा की कोई आशंका है। INSAT photos are tres depressing: http://www.imd.gov.in/section/satmet/dynamic/insatsector-irc.htm
Wednesday, June 17, 2009
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